Tuesday, January 29, 2013

Bekrari Kumar Vishwas Poem

बेक़रारी सी बेक़रारी है ,
वस्ल हैं और फिराक तारी है
जो गुज़ारी न जा सकी हम से
हम ने वो ज़िन्दगी गुज़ारी है
बिन तुम्हारे कभी नहीं आई
क्या मेरी नीँद भी तुम्हारी है ?
उस से कहियो की दिल की गालियों में
रात-दिन तेरी इंतजारी है............................"



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