"इस से पहले कि सजा मुझ को मुक़र्रर हो जाये
उन हंसी जुर्मों कि जो सिर्फ मेरे ख्वाब में हैं ,
इस से पहले कि मुझे रोक ले ये सुर्ख सुबह
जिस कि शामों के अँधेरे मेरे आदाब में हैं ,
अपनी यादों से कहो छोड़ दें तनहा मुझ को
मैं परीशाँ भी हूँ और खुद में गुनाहगार भी हूँ
इतना एहसान तो जायज़ है मेरी जाँ मुझ पर
मैं तेरी नफरतों का पाला हुआ प्यार भी हूँ .
-Kumar Vishwas
उन हंसी जुर्मों कि जो सिर्फ मेरे ख्वाब में हैं ,
इस से पहले कि मुझे रोक ले ये सुर्ख सुबह
जिस कि शामों के अँधेरे मेरे आदाब में हैं ,
अपनी यादों से कहो छोड़ दें तनहा मुझ को
मैं परीशाँ भी हूँ और खुद में गुनाहगार भी हूँ
इतना एहसान तो जायज़ है मेरी जाँ मुझ पर
मैं तेरी नफरतों का पाला हुआ प्यार भी हूँ .
-Kumar Vishwas
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